May 27, 2025 मुंतजिर शाम ए मुंतज़िर तड़पा रही है तसव्वुर मैं कोई तस्वीर आ रही जा रही है। नज़्म लिखूं , लिखूं बैहर या ग़ज़ल कोई। तू कहे तो शायरी करूं तुझ पे लिख दूं वो बात जो न बताई जा रही है – कीर्ति